एक सूर्य, एक दुनिया और एक ग्रिड - भविष्य की तैयारी के लिए ज़रूरी
नई दिल्ली, 11 फरवरी, 2021: वर्ल्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट के दूसरे दिन आयोजित हुई मुख्य इवेंट में लॉर्ड अडैर टर्नर, चेयर, एनर्जी ट्रांसिशन्स कमीशन, ने कहा," भारत और पूरी दुनिया में अक्षय ऊर्जा की क्षमता बढ़ाने और उसे स्थापित करने के लिहाज से बहुत तेज़ प्रगति हुई है। देश और कंपनियां नेट जीरो की तरफ कदम बढ़ रहे हैं। विकसित देशों ने 2050 तक नेट जीरो होने की तरफ अपनी प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है और विकाशील देशों ने 2060 ये सब दिखाता है कि हमे जीरो कार्बन इकॉनमी कैसे विकसित करनी है।"
उत्सर्जन कम करने और जीरो कार्बन अर्थव्यवस्था की तरफ कदम बढ़ाने के लिए दुनिया के अलग अलग हिस्सों में एनर्जी ट्रांजीशन पर खासा ध्यान दिया जा रहा है। तीन दिवसीय WSDS में इस बार एनर्जी ट्रांजीशन मेगा थीम में से एक है। इस थीम के तहत "Developing a long-term vision for implementing, ‘One Sun One World One Grid’ - सेशन का आयोजन किया गया। इस सेशन में लॉर्ड अडैर टर्नर, चेयर, एनर्जी ट्रांसिशन्स कमीशन, डॉ अजय माथुर, डायरेक्टर जनरल, टेरी, श्री उपेंद्र त्रिपाठी, डायरेक्टर जनरल, इंटरनेशनल सोलर अलायन्स, मिस्टर फिलिप्पे लिएनहार्ट, ईडीएफ प्रोजेक्ट लीड OSOWOG , मिस्टर अमित जैन, सीनियर एनर्जी स्पेश्लिस्ट, दी वर्ल्ड बैंक, डॉ अंशु भारद्वाज, सीईओ, शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन, मिस्टर जयंत परिमल, एडवाइजर टू दी चेयरमैन, अडानी ग्रुप और मिस्टर स्टेफने क्रोजत, फ्रेंच एम्बेसडर फॉर क्लाइमेट ने चर्चा में हिस्सा लिया।
एक सूर्य, एक दुनिया और एक ग्रिड (OSOWOG) के विजन पर टेरी के महानिदेशक डॉ अजय माथुर ने कहा, "यह तरीका कई मायनों में उस भविष्य के लिए बहुत अहम है, जिसकी तैयारी में हम लगे हुए हैं। इसका मतलब है कि हम पूरी दुनिया को सौर ऊर्जा से कैसे जोड़ें जो कि स्वच्छ औऱ वहनीय एनर्जी ट्रांजीशन के लिहाज से भी बहुत अहम है। हम देख रहे हैं कि अक्षय ऊर्जा की इंस्टाल्ड क्षमता और सौर बिजली का उत्पादन समय के साथ लगातार बढ़ रहा है। भारत में चाहे आप राजस्थान के रेगिस्तान की बात करें या लद्दाख की, दोनों ही जगहों पर पर्याप्त संभावनाएं हैं। लेकिन चुनौती ये है कि अगर आप बेहद कम कीमतों पर अक्षय स्रोतों से बिजली का उत्पादन लगातार कर रहे हैं तो आप इतनी बिजली का इस्तेमाल एक साथ कहाँ कैसे करेंगे। इसलिए आप इस बिजली को पड़ोसी भू भाग में ले जाकर इस बात का लाभ उठा सकते हैं क्योंकि तब एक टाइम जोन में पैदा होने वाली बिजली का उपयोग दूसरे टाइम जोन में हो सकेगा जहां उस समय सौर बिजली को पैदा करना संभव नहीं है। यही एक सूर्य, एक दुनिया और एक ग्रिड का कांसेप्ट है।"
इस पर अमित जैन, सीनियर एनर्जी स्पेशिलिस्ट, दी वर्ल्ड बैंक, ने कहा, "सबसे पहले मैं इस मिशन से जुड़ी एक ग़लत धारणा का जवाब देना चाहता हूं। इसके ज़रिए हम एक ग्लोबल ग्रिड की बात तो कर रहे हैं लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि हम पूरी दुनिया को एक ग्रिड से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। हम यहां वास्तव में इंटरकनेक्टर्स की बात कर रहे हैं। गुजरात और ओमान के बीच, भारत और बांग्लादेश के बीच। ये यूरोप में हो चुका है जहां बहुत से देशों के बीच पहले ही इंटरकनेक्टर लगे हैं।"
OSOWOG की महत्वता पर बात करते हुए मिस्टर उपेंद्र त्रिपाठी, डायरेक्टर जनरल, इंटरनेशनल सोलर अलायन्स ने कहा, "OSOWOG को सफल बनाने के लिए तीन घटकों की आवश्यकता होगी: तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक विश्व ग्रीन कोड; देशों के साथ पावर साझा करने की व्यवस्था; और सौर ऊर्जा के लिए पूंजी के साथ एक विश्व सौर बैंक। "
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और विश्व बैंक मिलकर 'एक सूर्य, एक दुनिया और एक ग्रिड' मिशन को लागू करने के लिए दृष्टि, क्रियान्वयन योजना, रोडमैप और संस्थागत ढांचे का निर्माण कर रहे हैं। इस योजना का ध्यान एक ऐसा ढांचा या फ्रेमवर्क तैयार करने पर होगा जिससे वैश्विक सहयोग को बढ़ाने, परस्पर जुड़े हुए नवीकरण ऊर्जा संसाधनों (जिसमें मुख्यतः बिजली के सौर संसाधन हों) का ग्लोबल नेटवर्क तैयार करने और साथ-साथ रूफटॉप सोलर सिस्टम जैसे विकेन्द्रीकृत तंत्र को तैयार करने पर होगा ताकि इन सबको वैश्विक मंच पर बिना किसी रुकावट के साझा किया जा सके।
फ्रांस की संस्था ईडीएफ और टेरी साथ मिलकर इस बेहद अहम पहल को एक दीर्घकालिक सोच के साथ लागू करने की तैयारी में हैं। इसमें संस्थागत ढांचे की आधारशिला के अलावा कार्यकारी योजना और रोडमैप बनाना भी शामिल है। इसके लिए तकनीकी चुनौतियां, संभावित फायदे, आर्थिक अनुकूलता और पर्यावरणीय प्रभाव जैसी चीजों को भी संबोधित किया जाएगा।
टेरी के बारे में
द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट यानि टेरी एक स्वतंत्र, बहुआयामी संगठन है जो शोध, नीति, परामर्श और क्रियान्वयन में सक्षम है। संगठन ने लगभग बीते चार दशकों से भी अधिक समय से ऊर्जा, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में संवाद शुरू करने और ठोस कदम उठाने का कार्य किया है।
संस्थान के शोध और शोध-आधारित समाधानों से उद्योगों और समुदायों पर परिवर्तनकारी असर पड़ा है। संस्थान का मुख्यालय नई दिल्ली में है और गुरुग्राम, बेंगलुरु, गुवाहाटी, मुंबई, पणजी और नैनीताल में इसके स्थानीय केंद्र और परिसर हैं जिसमें वैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियों, अर्थशास्त्रियों और इंजीनियरों की एक बहु अनुशासनात्मक टीम कार्यरत है।
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