विकासशील देशों में बड़े स्तर पर खाद्यान उत्पादन के बावजूद बहुत सारा खाद्यान सप्लाई चेन में ही नष्ट हो जाता है। इसका एक बड़ा कारण अच्छे कोल्ड चेन ढाँचे की कमी माना जाता है।
दुनिया COVID-19 महामारी की चपेट में है, देश अपने नागरिकों के जीवन, अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य सेवा पर आए इस संकट से निपटने के लिए संभावित प्रयास कर रहे हैं। भारत में कई परिवार दैनिक मज़दूरी पर आश्रित रहते हैं और वर्तमान लॉकडाउन ने इन परिवारों के जीवन को प्रभावित किया है। ऐसे समय में भारत की बड़ी गरीब आबादी को देखते हुए, गरीबों को खाद्य सुरक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
भारत दुनिया में खाद्य और औषधीय उत्पादों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। लेकिन हमारे सामने प्रमुख चुनौती सही लोगों को सही जगह और सही समय पर भोजन और स्वास्थ्य संबंधी उत्पाद मुहैया कराना है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा 2019-20 के लिए जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार भारत का खाद्यान उत्पादन 291.95 मिलियन टन के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान है जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 2.36% अधिक है। भारत में अधिकांश फसलों के औसत से अधिक उत्पादन के साथ-साथ खाद्यान के इस रिकॉर्ड उत्पादन का कारण पिछले मानसून सीजन में कुल वर्षा में हुई 10 फीसदी बढ़ोत्तरी को माना जाता है। लेकिन ये सिक्के का केवल एक पहलू है। इतने बड़े स्तर पर उत्पादन के बावजूद, विशेषकर विकासशील देशों में बहुत सारा खाद्यान उत्पादन सप्लाई चेन में ही नष्ट हो जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, मानव उपभोग के लिए उत्पादित एक तिहाई भोजन विश्व स्तर पर बर्बाद हो जाता है जो कि प्रति वर्ष के हिसाब से लगभग 1.3 बिलियन टन ठहरता है। भारत की स्थिति भी इससे कोई बहुत अलग नहीं है जहां उत्पादित खाद्य पदार्थों का लगभग 40% नष्ट या बर्बाद हो जाता है।
इंडियन ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (IBEF) के अनुसार, भारत जेनेरिक दवाओं के मामले में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा फार्मास्यूटिकल्स बाजार है। हमारा देश पूरी दुनिया में जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता देश भी है। लेकिन भारत अभी भी सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में अपने नागरिकों तक सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं को पूरी तरह से नहीं पहुंचा पाया है। सामान्यतः विशेषज्ञों के अनुसार, विकासशील देशों में अच्छे कोल्ड चेन ढाँचे की कमी एक बड़ा कारण माना जाता है।
सामान्य रूप से कूलिंग नागरिकों के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए ज़रूरी है इसलिए ये बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी-संचालित प्रणाली और मांग जैसे अनेक स्तंभों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कोविड-19 से उबरने और आत्मनिर्भर बनने की ओर कदम बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। उन्होंने आत्म-निर्भरता प्राप्त करने के लिए पांच स्तंभों पर जोर दिया - अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, प्रौद्योगिकी-संचालित प्रणाली, जनसांख्यिकी और मांग। हालांकि मात्रा के लिहाज़ से ये पैकेज अभूतपूर्व है और प्राथमिकता वाले प्रमुख क्षेत्रों की जरूरतों को संबोधित भी करता है, लेकिन मुख्य रूप से किसान कल्याण और खाद्य सुरक्षा के पहलू पर ज़ोर देता है। कोल्ड चेन, फ़सल की कटाई के बाद जरूरी भंडारण के इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे फार्म गेट इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का बड़ा हिस्सा रखा गया है।
नीति निर्धारकों एवं उद्योग जगत के सामने इस पैकेज को लागू करना और उसके उद्देश्यों को पूरा करना बड़ी चुनौती होगा। कोल्ड-चेन इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण मोटे तौर पर खाद्यान बर्बाद होता है। खाद्यान और वैक्सीन के नुकसान और बर्बादी से निपटने के लिए विकेन्द्रीकृत स्तर पर उपलब्ध कोल्ड चेन को नीतिगत स्तर पर भी लागू करना चाहिए। एक कोल्ड चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर में तापमान-नियंत्रित भंडारण स्थान और कुशल प्रबंधन प्रक्रियाओं के साथ परिवहन प्रशिक्षित परिचालन और प्रभावी प्रबंधन प्रक्रियाओं के साथ सर्विसिंग तकनीशियनों जैसी चीजें शामिल होती हैं।
तापमान नियंत्रित भंडारण स्थानों में पैक-हाउस, राइपनिंग चैंबर, बड़े और अधिक कोल्ड स्टोरेज शामिल हैं जो जल्द खराब होने वाले खाद्यान को सुरक्षित रखते हैं, सड़ने से बचाते हैं, और शेल्फ लाइफ को बढ़ाते हैं। प्रशीतित परिवहन (Reefer) कोल्ड चेन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि आवाजाही और ढोने के दौरान उत्पादों की सुरक्षा और तापमान सुनिश्चित करता है।
कोल्ड चेन्स के बुनियादी ढाँचे को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए प्रबंधन प्रक्रियाओं के साथ-साथ अच्छी तरह से प्रशिक्षित ऑपरेशन एन्ड मेंटेनेंस कर्मियों की मौजूदगी ज़रूरी है। कोल्ड चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर वैक्सीन और तापमान-संवेदनशील दवाओं के बनने से लेकर उनके रख-रखाव तक की अवधि में उनकी गुणवत्ता को बनाए रख सकता है और इस तरह इससे एक मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली को फायदा मिलता है।
हाल ही में जारी इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP) ने कोल्ड चेन के बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ज़ोर दिया। और इस पर चर्चा की कि गाँव स्तर पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोल्ड चेन सुविधाओं का लाभ किस तरह लिया जा सकता है जिससे किसानों की आय और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो। एक्शन प्लान की रिपोर्ट बताती है कि भारत में कोल्ड स्टोरेज या रेफ्रिजरेटेड वेयरहाउस की तो उपलब्धता है, लेकिन दूसरी ओर, कोल्ड चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर-पैक हाउस, प्रशीतित परिवहन (Reefer) और राइपनिंग चैंबर की कमी पायी गयी है।
भारत में खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करने के लिए किसानों तक कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर की पहुंच सुनिश्चित करना लक्ष्य होना चाहिए। इस पहुंच को सुनिश्चित करने के कई स्तरों पर फायदे मिल सकते हैं। इससे किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा, आपूर्ति श्रृंखला अनुकूलित हो सकेगी, भोजन और दवा का अपव्यय और उनकी बर्बादी कम होगी। साथ-साथ खाद्य अपशिष्ट से पैदा होने वाली ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी होगी और खाद्य सुरक्षा और देश में स्थानीय रोजगार सृजन सहित सभी के लिए कई लाभ मिल सकेंगे।
देश में कोल्ड चेन को बढ़ावा देने के लिए कई तरीके हैं। सबसे पहले, कोल्ड चेन सेक्टर में कारोबार आसान करने के लिए नियामक ढांचे की बाधाओं को दूर करने से, नवीन उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा मिल सकता है। दूसरे, भारत में कोल्ड चेन उद्योग के लिए एक बिजनेस मॉडल की आवश्यकता है जिसे स्थानीय स्तर पर लागू किया जा सकता है और जो किसानों की भागीदारी सुनिश्चित कर सकता है।
तीसरा, उद्योगों को तापमान नियंत्रित भंडारण की जगहों और परिवहन के लिए लागत प्रभावी समाधान खोजना चाहिए क्योंकि कोल्ड चेन सेक्टर के लिए आवश्यक प्रारंभिक निवेश बहुत ज्यादा है। इसके अलावा, जल्द ख़राब होने वाले खाद्यान की आपूर्ति श्रृंखला का अनुकूलन कर खाद्य अपव्यय को कम और खाद्य स्टॉक के बेहतर उपयोग को सुनिश्चित किया जा सकता है। अगर इस अभूतपूर्व समय में हमारे पास प्रभावी नीति और कार्यान्वयन रणनीति के साथ एक मजबूत कोल्ड चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर हो तो बहुत लंबा रास्ता तय किया जा सकता है।