- वर्ल्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट के 20 साल
- एनर्जी ट्रांजीशन, क्लीन ओशियन, अडेप्टेशन एंड रेज़ीलियंश, वीमेन ऑन दी राइज़ , इंडस्ट्री ट्रांजीशन, सर्कुलर इकॉनमी, एयर पॉल्यूशन, नेचर-बेस्ड सोल्यूशन, ग्रीन ग्रोथ, जैसी बड़ी थीम पर होगी चर्चा
- ग्लोबल साउथ से युवाओं और महिलाओं की आवाज़ को आगे रखते हुए की जाने वाली यह चर्चा ग्लास्गो में होने वाले COP26 में योगदान देगी
"2019 भारत के लिए बड़ी आपदाओं वाला साल रहा। बढ़ते हुए तापमान, बाढ़, सूखा सबने इस देश को प्रभावित किया। अगर मैं आपकी जगह होता तो चीख चीख कर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्यवाई की मांग कर रहा होता"
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर ये विचार हैं जैफ्री सैक्स (प्रोफेसर और निदेशक, सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट, कोलंबिया विश्वविद्यालय) के।
पिछले साल 2020 में वर्ल्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट (WSDS ) के दौरान उन्होंने जलवायु परिवर्तन के खतरों और देशों की भूमिका पर ज़ोर देते हुए ये बात कही।
बीते सालों में न सिर्फ़ भारत बल्कि दुनिया के अन्य देश भी जलवायु परिवर्तन की चपेट में आए हैं। वैश्विक औसत तापमान में लगातार वृद्धि के प्रभाव हमारे सामने हैं जैसे- बाढ़, ग्लेशियरों का सिकुड़ना, समुद्र-स्तर का बढ़ना, तूफ़ान, जंगल में आग, वर्षा के स्वरुप में बदलाव, सूखा और अकाल इत्यादि। इसके परिणामस्वरूप 2010-2019 का दशक रिकॉर्ड में सबसे गर्म दशक के रूप में दर्ज किया गया (NAOAA) 1।
IPCC का कहना है कि हमें ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री तक सीमित करना होगा, ऐसा करने के लिए दुनिया को 2030 तक उत्सर्जन में आधी कटौती करनी होगी और 2050 तक नेट-ज़ीरो के लक्ष्य को पाना होगा। सभी प्रतिबद्धताओं के बावजूद, दुनिया 3-4 डिग्री की वृद्धि की ओर बढ़ रही है। इसके लिए सख्त कदम उठाने की ज़रूरत है।2
इस स्थिति की गंभीरता को समझते हुए सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2060 तक चीन के कार्बन-न्यूट्रल होने की घोषणा की। यूरोपीय संघ ने भी 2050 तक पहला कार्बन-न्यूट्रल महाद्वीप बनने का वादा किया है और अपने COVID-19 रिकवरी पैकेज को तरह तैयार किया है ताकि इस व्यापक उद्देश्य को पूरा किया जा सके।
यूनाइटेड किंगडम, जापान और कोरिया गणराज्य, ने 110 से अधिक अन्य देशों के साथ मिलकर 2050 तक कार्बन-न्यूट्रल होने का वादा किया है, और चीन ने 2060 से पहले इस लक्ष्य को हासिल करने का वादा किया है। इसका मतलब है कि दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद का 50 प्रतिशत, और वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लगभग 50 प्रतिशत हिस्से वाले देश अब कार्बन-न्यूट्रल के लक्ष्य के साथ प्रतिबद्ध है।3
इन सभी देशों के कार्बन-न्यूट्रल के लक्ष्य को मज़बूती देने के लिहाज़ से ये साल बेहद महवपूर्ण है। इस साल विश्व भर के प्रमुख नेता संयुक्त राष्ट्र परिवर्तन सम्मलेन 2021 में जुटेंगे। इसे COP26 के रूप में भी जाना जाता है और यह 26 वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन है। इसे यूनाइटेड किंगडम की अध्यक्षता में 1 से 12 नवंबर 2021 तक ग्लासगो, यूनाइटेड किंगडम में आयोजित किया जाना है। महामारी की वजह से नवंबर 2020 में इसे स्थगित करना पड़ा था। ये वह मौका होगा जब सदस्य राष्ट्र अपनी नीतियों और लक्ष्यों का निर्धारण निम्न कार्बन के व्यापक उद्देश्य को ध्यान में रखकर करेंगे।
इस बात पर ज़ोर देने की आवश्यकता है कि 21 वीं शताब्दी में अर्थव्यवस्था को स्वच्छ, हरित, स्वस्थ, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्रों को मिलकर काम करना होगा। दूसरे शब्दों में, इस चुनौती से निपटने के लिए समाज के विभिन्न क्षेत्रों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। दुनिया भर में इस पर अलग अलग मंचो पर आवाज़ उठनी शुरू हो गयी है। इसी कड़ी में द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट (टेरी) का वर्ल्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट (WSDS) पिछले 20 सालों से कई देशों के अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले नीति-निर्माताओं और विशेषज्ञों को एक मंच पर लाने का काम कर रहा है।
20 साल का सफर तय करते हुए WSDS एक बार फिर से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में राष्ट्रों, शिक्षाविदों, जलवायु वैज्ञानिकों, युवाओं को साथ ला रहा है। ग्लोबल साउथ से युवाओं और महिलाओं की आवाज़ को आगे रखते हुए की जाने वाली यह चर्चा ग्लास्गो में होने वाले COP26 में योगदान देगी। इस बार WSDS का आयोजन 10 -12 फ़रवरी के बीच किया जाएगा।
पर्यावरण और स्थिरता के सबसे सामयिक मुद्दों की पहचान करते हुए इस बार WSDS में Energy Transition, Clean Ocean, Adaptation & Resilience, Women on the Rise, Industry Transition, Circular Economy, Air Pollution, Nature-based solution, Green Growth जैसी बड़ी थीम को शामिल किया गया है। हम कोयला आधारित बिजली से सौर और पवन ऊर्जा में ट्रांजीशन को कैसे तेज़ करें, जलवायु प्रभावों से निपटने के लिए हमारे शहरों और समुदायों को क्षमता बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए, उद्योग कैसे नेट ज़ीरो उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर बढ़े, हमारे जंगल, वायु, भूमि और महासागरों जैसे प्राकृतिक संसाधनों को कैसे बचाएं और हम जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे पर महिलाओं को आगे कैसे लाएँ - ये कुछ प्रमुख पहलूँ हैं जिन पर चर्चा करने और अपने विचार रखने के लिए नीति निर्माता, नेता और शोधकर्ता एक साथ एक ही मंच पर होंगे।
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निष्कर्ष
यह चर्चा बहुत ही प्रासंगिक है। इसमें शामिल होने वाले प्रवक्ता ग्लोबल साउथ से महत्वपूर्ण आवाज़ों का प्रतिनिधित्व करेंगे। वे उन विचारों और कार्यों पर प्रकाश डालेंगे जिनमें वर्तमान में भारत अग्रणी है, और जिसे अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं द्वारा अपनाया जा सकता है। 2021 में होने वाली ये चर्चाएं धरती के स्वास्थ्य को पुनर्जीवित करने के लिए बहुत ही सामयिक और महत्वपूर्ण हैं।
इस बार प्रमुख वक्ता
- मिस्टर एस जयशंकर, माननीय विदेश मंत्री, भारत सरकार
- मिस्टर इरफ़ान अली, राष्ट्रपति, गयाना
- मिस्टर मोहम्मद नशीद, फॉर्मर प्रेजिडेंट ऑफ़ दी मालदीव्स
- मिस अमीना जे मोहम्मद, डिप्टी सेक्रेटरी-जनरल, यूनाइटेड नेशंस
- मिस पेट्रीसिया एस्पिनोसा, एग्जीक्यूटिव सेक्रेटरी, यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC)
- मिस एलिजाबेथ मारूमा म्रेमा, एग्जीक्यूटिव सेक्रेटरी ऑफ़ दी सेक्रेटेरिएट ऑफ़ दी कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी, यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी (UNCBD)
- मिस इंगर एंडरसन, अंडर-सेक्रेटरी-जनरल ऑफ़ द यूनाइटेड नेशंस एंड एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोग्राम (UNEP)
- मिस स्लाग मैरी हेगा, फॉर्मर नार्वेजियन मिनिस्टर एंड डिप्लोमेट, एसोसिएट वाइज़-प्रेजिडेंट- एक्सटर्नल रिलेशन्स एंड गवर्नेंस डिपार्टमेंट, इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट (IFAD)
- मिस्टर विदार हेल्गेसन, नॉर्वे'ज़ स्पेशल रिप्रेजेन्टेटिव फॉर दी ओशियन एंड फॉर्मर मिनिस्टर ऑफ़ क्लाइमेट एंड एनवायरनमेंट, मिनिस्टर ऑफ़ यूरोपियन अफेयर्स, गवर्नमेंट ऑफ़ नॉर्वे
- डॉ माधवन नायर राजीवन, सेक्रेटरी, मिनिस्ट्री ऑफ़ अर्थ साइंसेज, गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया
- मिस्टर अंशु भारद्वाज, सीईओ, शक्ति फाउंडेशन
ज़्यादा जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: http://wsds.teriin.org/
Footnotes:
[1] https://www.noaa.gov/news/2019-was-2nd-hottest-year-on-record-for-earth-say-noaa-nasa#:~:text=NASA%20also%20found%20that%202010,second%20warmest%20for%20the%20globe
[2] https://www.wri.org/ndcs
[3] https://www.un.org/press/en/2020/sgsm20411.doc.htm#:~:text=The%20United%20Kingdom%2C%20Japan%20and,to%20get%20there%20before%202060