क्लाइमेट चेंज से लड़ाई क्लाइमेट जस्टिस के रास्ते से गुज़रती है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली, 10 फरवरी, 2021: द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (TERI) के फ्लैगशिप इवेंट, वर्ल्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट (WSDS) के बीसवें संस्करण का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी द्वारा, 10 फ़रवरी 2021 को 1830 hrs IST बजे किया गया।
WSDS का आयोजन पूरी तरह से 10-12 फरवरी, 2021 के बीच ऑनलाइन किया किया जा रहा है। इस समिट में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में नेता, जलवायु वैज्ञानिक, युवा, शिक्षाविद एक साथ जुट रहे हैं। ग्लोबल साउथ से युवाओं और महिलाओं की आवाज़ को आगे रखते हुए की जाने वाली यह चर्चा ग्लास्गो में होने वाले COP26 में योगदान देगी
20 वें WSDS का उद्घाटन करते हुए, प्रधान मंत्री मोदी ने कहा, "इस तरह के मंच बहुत ज़रूरी हैं हमारे वर्तमान और भविष्य के लिए। आने वाले समय में मनुष्य की प्रगति दो चीज़ें तय करेंगी एक लोगों का स्वास्थ्य और दूसरा इस धरती का। ये दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। लोगों के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए बहुत से चर्चाएं जारी है लेकिन यहाँ आज हम इकठ्ठा हुए हैं इस धरती के स्वास्थ्य के बारे में बात करने के लिए। ये वक़्त है आउट ऑफ़ द बॉक्स सोचने का। सतत भविष्य की तरफ काम करने के लिए हमें अपने युवाओं में निवेश करना होगा। क्लाइमेट चेंज से लड़ने का मार्ग क्लाइमेट जस्टिस से होकर जाता है। जलवायु परिवर्तन से लड़ने का मार्ग जलवायु न्याय के माध्यम से है अगर हर कोई अपनी सामूहिक ज़िम्मेदारी को समझे तो क्लाइमेट जस्टिस को प्राप्त किया जा सकता है।"
श्री मोदी ने आगे कहा, "हम पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के रास्ते पर हैं। हमने 2005 के स्तर से सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 33 से 35% तक कम करने का लक्ष्य रखा है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि हम उत्सर्जन तीव्रता में 24% की गिरावट पहले ही हासिल कर चुके हैं।
उन्होंने लैंड डिग्रडेशन न्यूट्रेलिटी पर प्रगति और अक्षय ऊर्जा में भारत की तेज़ी से प्रगति की सराहना की। उन्होंने कहाँ कि, "मुझे ये साझा करने में हर्ष हो रहा है कि हम लैंड डिग्रेडेशन न्यूट्रलिटी की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा मे निरंतर प्रगति कर रहे हैं। नवीकरण ऊर्जा के मामले में भी हम तेजी से प्रगति कर रहे हैं। हम साल 2030 तक नवीकरण ऊर्जा के स्रोतों से 450 गीगावाट ऊर्जा पैदा करने के अपने लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में भी मजबूती से बढ़ रहे हैं। यहां मैं देश के निजी क्षेत्र और उन तमाम लोगों का अभिनंदन करना चाहता हूं जो इसमें अपना योगदान दे रहे हैं। भारत एथेनॉल के इस्तेमाल को भी बढ़ावा दे रहा है। इक्विटेबल एक्सेस यानी सब तक बराबर पहुंच के बिना सस्टेनेबल डेवलपमेंट अधूरा है। इस दिशा में भी भारत ने अच्छी प्रगति की है। मार्च 2019 में भारत ने लगभग 100 फीसदी विद्युतीकरण के लक्ष्य को हासिल कर लिया है। ये लक्ष्य सस्टेनेबल तकनीकों और इनोवेटिव मॉडलों के जरिए पूरा किया गया। पूरी दुनिया में एलईडी बल्बों के चलन में आने से काफी पहले ही भारत ने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। उजाला कार्यक्रम के जरिये लगभग 367 मिलियन एलईडी बल्ब लोगों के रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन गए। इससे प्रति वर्ष लगभग 438 मिलियन टन कार्बन डाई ऑक्साइड को कम करने में मदद मिली। जल जीवन मिशन के जरिये 38 मिलियन से भी ज्यादा घरों को लगभग 18 महीनों के भीतर जोड़ा गया। पीएम उज्ज्वला योजना के जरिये गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 80 मिलियन से ज्यादा परिवारों को स्वच्छ रसोई ईंधन मुहैया कराया गया। हम भारत की ऊर्जा बॉस्केट में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 6 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी करने के लिए काम कर रहे सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क में अगले तीन सालों में 100 और जिले जोड़े जाएंगे।"
इस अवसर पर भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री माननीय प्रकाश जावडेकर ने भारत की जलवायु मुद्दे पर अग्रणी भूमिका और लक्ष्य पर बोलते हुए कहा, " इस वार्षिक समिट को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल चुकी है। इस मंच पर कई मायनों में भावी सस्टेनेबल कॉन्फ्रेंस के लिए एजेंडा भी तैयार होता है। मुझे अभी याद आ रहा था कि साल 2012 में मैंने सांसद के रूप में डरबन में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन में हिस्सा लिया था। उस समय भारत इन मामलों में बैकबेंचर की भूमिका में था और अपनी बातें नहीं रख पाता था लेकिन साल 2015 में जब हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पेरिस गए तो हम बिल्कुल अग्रगामी भूमिका में आ गए। इससे पहली बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर जीवन शैली, क्लाइमेट जस्टिस और भारतीय जीवन शैली जैसे मुद्दे प्रमुखता से सामने आए। हमनें इनके बारे में विस्तार से बात की और इन सबको पेरिस समझौते की प्रस्तावना में जगह मिली। इसी कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री ने इंटरनेशनल सोलर एलाइंस, कोलियेशन ऑफ डिजास्टर रिजिलियंट इंफ्रास्ट्रक्चरऔर मिशन इनोवेशन को लॉन्च किया। इन तीनों कदमों ने भी दुनिया का ध्यान खींचा और भारत अब इस मामले में अपनी बात कहीं अधिक मजबूती से रख रहा है। "
"एफएओ ग्लोबल रिसोर्सेज एसेसमेंट 2020 के अनुसार, भारत दुनिया के उन तीन शीर्ष देशों में शामिल है जहां वन क्षेत्र में पिछले एक दशक में बढ़ोत्तरी हुई है। देश में फॉरेस्ट कवर बढ़कर कुल भू भाग का एक चौथाई हो गया है। परंपरागत सोच के आधार पर कई लोग ये निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि जब कोई देश विकास करता है तो फॉरेस्ट कवर नीचे जाता है। लेकिन भारत उन देशों में है जो इस बात को गलत साबित कर रहा है। हमारे सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लक्ष्य में पशुओं की सुरक्षा भी शामिल है। पूरे भारत में लोग इस बात को लेकर गर्व महसूस करते हैं कि बीते 5-7 सालों में शेरों, बाघों, तेंदुओं की संख्या बढ़ी है।"
श्री प्रकाश जावडेकर ने आगे कहा, "हमनें उत्सर्जन तीव्रता को कम किया है, हमनें वन क्षेत्र को बढ़ाया है, हमनें परती भूमि के रिस्टोरेशन के लिए भी नया लक्ष्य तय किया है। साथ-साथ नवीकरण स्रोतों से 90 गीगावाट क्षमता जोड़ने के साथ ही हम प्रधानमंत्री की ओर से दिए गए 450 गीगावाट के लक्ष्य को भी प्राप्त करेंगे, ऐसी हमें उम्मीद है। इससे भारत एक शीर्षकारी भूमिका में आ जाएगा।ये हमारा आखिरी लक्ष्य है, यही हमारे देश की सामूहिक भावना भी है। हम प्रकृति से प्रेम करते हैं और हमारे देश में दुनिया की कुल जैव विविधता का 8 प्रतिशत है।"
इस अवसर पर गुयाना कॉपरेटिव रिपब्लिक के अध्यक्ष डॉ मोहम्मद इरफ़ान अली, रिपब्लिक ऑफ मालदीव, पीपुल्स मजलिस के स्पीकर श्री मोहम्मद नशीद, संयुक्त राष्ट्र की उपमहासचिव सुश्री अमीना जे मोहम्मद जैसे गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे।
टेरी के बारे में
द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट यानि टेरी एक स्वतंत्र, बहुआयामी संगठन है जो शोध, नीति, परामर्श और क्रियान्वयन में सक्षम है। संगठन ने लगभग बीते चार दशकों से भी अधिक समय से ऊर्जा, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में संवाद शुरू करने और ठोस कदम उठाने का कार्य किया है।
संस्थान के शोध और शोध-आधारित समाधानों से उद्योगों और समुदायों पर परिवर्तनकारी असर पड़ा है। संस्थान का मुख्यालय नई दिल्ली में है और गुरुग्राम, बेंगलुरु, गुवाहाटी, मुंबई, पणजी और नैनीताल में इसके स्थानीय केंद्र और परिसर हैं जिसमें वैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियों, अर्थशास्त्रियों और इंजीनियरों की एक बहु अनुशासनात्मक टीम कार्यरत है।
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