अभी ग्रामीण घरों में पाइप से पानी की आपूर्ति लगभग 18% है और जल जीवन मिशन में इसे 100% तक पहुंचाने का लक्ष्य है। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस 2019 के अवसर पर देश के सभी घरों को पाइप के द्वारा जल उपलब्ध करवाने के लिए “जल जीवन मिशन” की घोषणा की थी। इसके लिए केंद्र और राज्य मिलकर काम करेंगे। घरों तक नल के माध्यम से जल पहुंचाने की इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना पर 3.60 लाख करोड़ रुपये लागत आने का अनुमान है, जिसमें केंद्र सरकार 2.08 लाख करोड़ रुपये अंशदान देगी। 'जल जीवन मिशन' के लिए वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में 11,500 करोड़ रुपये रुपए आवंटित किए हैं।
जल जीवन मिशन 2024 तक 100% घरों में प्रति दिन 55 लीटर तक पानी की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कार्यात्मक रूप से नल कनेक्शन परिकल्पना की बात करता है। इस योजना के अनुसार जल जीवन मिशन की आधारिक संरचना की 5% या 10% लागत समुदाय से जुटाई जाएगी।
टेरी के वरिष्ठ फेलो और निदेशक डॉ स्यामल कुमार सरकार ने कहते हैं कि भारत सरकार की पहल जल जीवन मिशन के तहत 2024 तक "हर घर नल से जल" के सामने कई चुनौतियां हैं। लोगों की पानी की मांग बढ़ रही है हम उस मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं।
डॉ स्यामल कुमार सरकार से की गयी बातचीत के अंश:
2024 तक ग्रामीण घरों में पाइप से पानी पहुंचाने में मुख्य बड़ी चुनौतियां क्या हैं?
इस योजना की मुख्य चुनौतियां
- उपलब्ध मात्रा - सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2050 तक उपलब्ध कुल पानी सभी क्षेत्रों में बढ़ती पानी की मांग को पूरा नहीं कर पाएगा, इसमें घरेलू क्षेत्र भी शामिल हैं। अगर पानी की मांग का प्रबंधन और पानी का कुशलता से उपयोग नहीं किया गया तो घरों तक पानी की आपूर्ति करने में समस्या पैदा होगी।
- सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण पेय जल की व्यवस्था - यह योजना न केवल घरों को पाइप नेटवर्क से जोड़ने के लिए है बल्कि घरों में सुरक्षित और गुणवत्ता पानी की आपूर्ति करने के लिए है। यह मिशन पर्याप्त और बेहतर स्वच्छता की भी बात करता है। स्वच्छ और स्वस्थ तरीके से लोगों तक सुरक्षित और सस्ता पानी पहुँचाना भी एक चुनौती होगी।
- सुदूर गाँवों तक पानी पहुँचाना - इस संबंध में मुख्य कठिनाई उन ग्रामीण परिवारों और वंचित समूहों तक पानी पहुंचाने में आएगी जो सुदूर बाहरी क्षेत्रों में रहते हैं जहाँ पाइप के ज़रिए पानी पहुँचाना और नेटवर्क का निर्माण करना महंगा होगा और टिकाऊ नहीं होगा। उनके लिए विकेंद्रीकृत समाधान की ज़रूरत है न कि केंद्रीकृत नेटवर्क की।
इस योजना में हर व्यक्ति को रोज़ 55 लीटर पानी उपलब्ध कराया जाएगा। क्या यह मात्रा लोगों की मांग को पूरा कर पाएगी?
जल जीवन मिशन से पहले, ग्रामीण क्षेत्रों में पानी पहुंचाने की भारत सरकार की एक अलग योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 40 लीटर प्रतिदिन पीने के पानी की आपूर्ति का प्रावधान था। इस मात्रा को जल जीवन मिशन में बढ़ाया जा रहा है। मौजूदा योजना में शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन 135 लीटर पानी की आपूर्ति की जाती है। जीवनशैली में वृद्धि और व्यवहार में बदलाव के कारण, भविष्य में ग्रामीण समुदाय में पानी की मांग बढ़ सकती है। उस स्थिति में प्रतिदिन 55 लीटर प्रति व्यक्ति की पानी आपूर्ति कम पड़ जाएगी। वे पानी की अधिक मांग और खपत के लिए कम से कम शहरी स्तर तक की खपत के बराबर आना चाहेंगे या फिर 24/7 आपूर्ति की मांग करेंगे।
मौजूदा जल स्रोत सूख रहे हैं। इन विश्वसनीय जल स्रोतों को विकसित करना कितना मुश्किल होगा?
शहरीकरण के कारण मौजूदा जल निकायों को शहरी क्षेत्रों में परिवर्तित किया जा रहा है या ये जल निकाय लापरवाही के कारण सूख रहे हैं। सरकार द्वारा "जल तनाव" वाले जिलों की पहचान की गई है - केंद्र सरकार ने अपने बजट 2020-21 में ऐसे 100 जल तनाव निकायों की पहचान की जहाँ बड़े स्तर पर जल संरक्षण कार्यक्रम की आवश्यकता है। हाल के दिनों में केंद्र सरकार ने जल संरक्षण कार्यक्रम शुरू करने के लिए विशिष्ट कदम उठाएं हैं। यह एक स्वागत योग्य कदम है।
लोगों के घरों तक पानी पहुंचाने के स्त्रोत क्या होंगे?
गाँव के लोगों को दिया जाने वाला पानी भूजल, नदी या झीलों से आएगा जो विशेष क्षेत्र में पानी की उपलब्धता पर निर्भर करता है। घरेलू क्षेत्र में भूजल का उपयोग कुल जरूरत का 85% तक है। भूजल एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। इसके लिए भूजल संसाधनों के रिचार्ज की आवश्यकता है। जल जीवन मिशन को सफल बनाने के लिए पानी के स्त्रोतों को स्थिर बनाने की ज़रूरत है। अपशिष्ट जल प्रबंधन, जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन, और वाटरशेड प्रबंधन स्रोत स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इन उपायों से पानी की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित होती है जिसका उपयोग ग्रामीण घरों में पाइप के माध्यम से आपूर्ति के लिए किया जाएगा।
कुछ ही राज्यों ने दूषित जल के प्रबंधन क्षेत्र में काम किया है। इस योजना के लिए दूषित जल का प्रबंधन कितना आवश्यक है?
पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा और उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों में पानी दूषित है। इन राज्यों के भूजल में क्लोराइड और आर्सेनिक भी पाया जाता है। राज्य सरकार ने इन क्षेत्रों में आबादी को सुरक्षित पेयजल आपूर्ति के लिए कुछ कदम उठाए हैं। शहरी क्षेत्रों में 1/3 अपशिष्ट जल का उपचार किया जाता है और 2/3 अपशिष्ट जल अनुपचारित होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश अपशिष्ट जल अनुपचारित है। चूंकि अपशिष्ट जल सर्कुलर अर्थव्यवस्था में संपत्ति की तरह है, इसलिए अपशिष्ट जल की रीसाइक्लिंग ज़रूरी है। गाँव में अपशिष्ट जल के दोबारा उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने की ज़रूरत है। आने वाले महीनों में गांव के अपशिष्ट जल के उपचार के लिए पर्याप्त तकनीकी हस्तक्षेप होना चाहिए।
कई विकसित देशों ने भूजल खपत की निगरानी के लिए सैटेलाइट आधारित रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकियों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया है? कृषि और रक्षा में इस तकनीक का उपयोग कर रहे हैं, हम पानी के प्रबंधन के लिए इसका उपयोग क्यों नहीं कर रहे हैं?
केंद्रीय सरकार की एक योजना है एक्वाफाइर मैपिंग के लिए। एक्वाफाइर मैपिंग समुदाय के करीबी सहयोग से विकसित की गयी है। इस योजना के तहत भूजल की मात्रा को उच्च प्रौद्योगिकी का उपयोग करके पहचाना जाता है और स्थानीय क्षेत्र में पानी की आवश्यकता को मैप किया जाता है। यह कार्यक्रम वर्तमान में भारत में चल रहा है और प्रभावी भूजल प्रबंधन के लिए एक अच्छा कदम होगा।
क्या आपको लगता है कि मंत्रालयों को पुनर्गठित करने और जल शक्ति मंत्रालय बनाने से देश भर में जल संरक्षण में तेजी आएगी?
कुछ हद तक इसी तरह के क्षेत्रों में काम करने वाले मंत्रालयों को जोड़कर इस पुनर्गठन से देश भर में जल संरक्षण पर जोर देने में मदद मिलेगी। लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। राज्यों में भी इसी तरह की कार्यवाई की ज़रूरत है क्योंकि राज्यों में जल क्षेत्र में काम करने वाले विभिन्न विभाग खंडित होकर काम कर रहे हैं। यही नहीं, जल संरक्षण का प्रबंधन पंचायत और स्थानीय निकायों द्वारा किया जाना चाहिए और जब तक उन्हें जल संरक्षण योजना शुरू करने के लिए हम आश्वस्त नहीं करेंगे तो पूरा कार्यक्रम विफल हो सकता है। केंद्रीय सरकार के प्रभाव में, राज्य सरकार और पंचायत / स्थानीय निकायों को अपने क्षेत्रों में पानी के संरक्षण के लिए केंद्रित होकर काम करना चाहिए। तभी योजना प्रभावी होगी।
क्या ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पड़ेगा?
मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन अब एक वास्तविकता है। आईपीसीसी रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के कारण बारिश के दिनों में अत्यधिक वर्षा और परिवर्तनशीलता होगी। परिणामस्वरूप, आर्थिक संकट भारत में बड़े पैमाने पर घट रहे हैं। इसलिए, भारत की आबादी को पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पानी का भंडारण बढ़ाने की आवश्यकता है। इस संबंध में भूजल भंडारण विकल्प का पालन किया जा सकता है।
जल जीवन मिशन की योजना सतत विकास लक्ष्य के अनुरूप है?
हां, एसडीजी 6.1 यह सुनिश्चित करता है कि 2030 तक हर देश को सभी के लिए सुरक्षित और सस्ती पेयजल के लिए सार्वभौमिक और न्यायसंगत पहुंच हासिल करनी चाहिए। जल जीवन मिशन योजना 2024 तक ग्रामीण घरों में नल से पानी की आपूर्ति करने का इरादा रखती है। इस प्रकार यह योजना एसडीजी 6.1 को पूरा करने की दिशा में एक सही कदम है।