पेयजल आपूर्ति में भारत का अनुभव नया नहीं है। जल जीवन मिशन कार्यक्रम से पहले, ग्रामीण घरों में पेयजल आपूर्ति प्रणाली के प्रावधान में एक बड़ी राशि खर्च की गई थी। 'जल जीवन मिशन' के लिए वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में 11,500 करोड़ रुपये रुपए आवंटित किए हैं। इस कार्यक्रम को एक बड़ी सफलता बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को जल्द हल किया जाना चाहिए।
सार्वभौमिक जल पहुंच सतत विकास लक्ष्य SDG-6 का एक महत्वपूर्ण घटक है, सार्वभौमिक जल पहुंच का मतलब है सुरक्षित और सस्ते पानी तक सबकी पहुँच । 2030 तक एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने का उद्देश्य निर्धारित किया गया है और भारत भी अन्य देशों की तरह एसडीजी लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध है। वर्तमान में दुनिया भर में कई लोग हैं जिनकी सुरक्षित पानी तक पहुँच नहीं है। भारत भी इस तरह की समस्या से दूर नहीं है। उदाहरण के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में, लगभग 15.7 करोड़ घर ऐसे हैं जिनके यहाँ नल के पानी का कनेक्शन नहीं है। इस वजह से कई इलाकों में लड़कियों और महिलाओं को पानी लाने के लिए के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
भारत दशकों से घरों तक पानी पहुंचाने के प्रयास कर रहा है। लेकिन परिणाम असंतोषजनक हैं। इस समस्या के समाधान के लिए, प्रधान मंत्री ने 15 अगस्त 2019 को एक घोषणा की जिसमें उन्होंने 2024 तक जल जीवन मिशन योजना के तहत सभी ग्रामीण परिवारों को कार्यात्मक रूप से नल के पानी के कनेक्शन से जोड़ने की बात कही। यह एक प्रशंसनीय पहल है, इसमें कोई संदेह नहीं है।
योजना की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- नल कनेक्शन के माध्यम से प्रति दिन 55 लीटर पर्याप्त और स्थायी पानी की आपूर्ति करना
- आधारभूत संरचना बनाने के बजाय सेवा वितरण पर ज़ोर
- अपने स्वयं के जल आपूर्ति प्रणाली को लागू करने, योजना, प्रबंधन करने के लिए निचले स्तर पर ग्राम पंचायत या उपयोगकर्ता समूह को शामिल करना
- कार्यक्रम को लागू करने के लिए समुदाय की क्षमता बढ़ाने के लिए स्वयं सहायता समूह को शामिल करना
- विशेष रूप से जल गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षित जल वितरण
- जल आपूर्ति प्रणाली के दीर्घकालिक रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीणों को कुशल श्रमिकों के रूप में प्रशिक्षित किया जाना
- स्वामित्व की भावना लाने के लिए, पूंजीगत लागत का (नकद या श्रम) 5 -10 प्रतिशत सामुदायिक योगदान
- प्रदर्शन प्रोत्साहन के रूप में गाँव के बुनियादी ढाँचे की लागत में पानी समिति को 10 प्रतिशत दिया जाना
- पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए विभिन्न स्तर पर जल गुणवत्ता प्रयोगशालाओं की स्थापना
- पानी की आपूर्ति की गुणवत्ता की जाँच के लिए गाँव में 5 व्यक्तियों विशेषतः महिलाओं को प्रशिक्षित करना
- जल जीवन मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न स्रोतों से योगदान स्वीकार करने के लिए राष्ट्रीय जल जीवन कोष की स्थापना करना।
वास्तव में, जल जीवन मिशन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पाँच सिद्धांत हैं: मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की संरेखित नीतियां (align policies); स्थायी पानी की मांग प्रबंधन के लिए व्यवहार परिवर्तन करना; कार्यक्रम के विभिन्न पहलुओं पर हितधारकों के बीच गहन संचार; कार्यक्रम को लोगों का हिस्सा बनाने के लिए लोकतांत्रिक व्यवहार प्रदान करना; और इसके प्रभाव को समझने के लिए तीसरे पक्ष द्वारा कार्यक्रम का मूल्यांकन।
केंद्रीय बजट में 2020-21 के दौरान 11,500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। 2019-20 के दौरान, लगभग 84 लाख उपभोक्ताओं को नल कनेक्शन प्रदान किए गए। अब एक लाख परिवारों को दैनिक आधार पर नल कनेक्शन दिया जा रहा है। आर्सेनिक दूषित क्षेत्र में 2019-2020, 71 लाख परिवारों और फ्लोराइड दूषित क्षेत्रों में 5.35 लाख लोगों को सुरक्षित पेयजल (DWS 2020) प्रदान किया गया।
पेयजल आपूर्ति में भारत का अनुभव नया नहीं है: जेजेएम कार्यक्रम से पहले, ग्रामीण घरों में पेयजल आपूर्ति प्रणाली के प्रावधान में एक बड़ी राशि खर्च की गई थी।
आगे का रास्ता
- भूजल को पानी की आपूर्ति के प्रावधान में उच्च प्राथमिकता नहीं दी गई थी, हालांकि ग्रामीण परिवार इस स्रोत पर बहुत निर्भर करते हैं। समुदाय को पता होना चाहिए कि उनके क्षेत्र में भूजल कितना उपलब्ध है ताकि वे भूजल तंत्र के ज़रिए मिलने वाले पानी का उपयोग सतत तरीके से कर सकें। यह डेटा आसानी से उपलब्ध नहीं है विशेष रूप से एक्वीफर मैपिंग प्रगति असंतोषजनक है।
- भूजल माप कुएं (Groundwater measurement wells) संख्या में कम हैं और इस प्रकार, एक पूरे समुदाय को यह नहीं पता चल पाता है कि उनके निवास क्षेत्र में भूजल कितना उपलब्ध है।
- संविधान के तहत, (73/74 वें संशोधन), जल प्रबंधन सबसे निचले स्तर के अधिकारियों के क्षेत्र में है, अर्थात्, ग्राम पंचायत। हालाँकि, अधिकांश राज्यों ने इस शक्ति को पंचायतों को समर्पित नहीं किया है।
- जलाशय में पानी की उपलब्धता को समझने के लिए सेंसर का उपयोग किया जाना चाहिए।
- राज्यों की वर्तमान अपशिष्ट जल नीतियाँ अपर्याप्त हैं। अपशिष्ट जल का उपचार करने के लिए बिजली की आवश्यकता होगी और गाँवों में बिजली की आपूर्ति अनियमित है।
इसके अलावा, हितधारकों के बीच विश्वास बनाने की जरूरत है, पानी की आपूर्ति और पानी की मांग से संबंधित पर्याप्त डेटा की आवश्यकता है, एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है, मिशन लक्ष्यों को एक नीति के माध्यम से प्राप्त नहीं किया जा सकता है, लेकिन कई नीतियों के संयोजन, और निर्धारित दिशानिर्देशों की निगरानी और उनको प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है।
शौचालय निर्माण के लिए स्वच्छ भारत मिशन, भारत में एक बड़ी सफलता है। समान कार्यान्वयन मशीनरी के साथ अगर आगे बढ़ा जाए तो ग्रामीण घरों में पानी पहुंचाने के कार्यक्रम जल जीवन मिशन में भी आने वाले महीनों में एक सफलता होगी।
इस कार्यक्रम को एक बड़ी सफलता बनाने के लिए उपरोक्त सभी मुद्दों को जल्द हल किया जाना चाहिए।