भारत में दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रमों का संचालन होता आया है, इसलिए यहां कोविड -19 टीके को जरूरतमंदों तक पहुंचाने में बहुत ज़्यादा समस्या नहीं होगी। लेकिन वर्तमान परिदृश्य में इस पृष्ठभूमि के आधार पर केवल एक हद तक ही ऐसा निष्कर्ष निकाला जा सकता है। इस दृष्टि से यह ठीक ही है कि नीति आयोग की ओर से गठित एक टॉस्क फ़ोर्स वैक्सीन के वितरण यानी लॉजिस्टिक्स पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसमें ख़ास तौर पर कोल्ड चेन पर ध्यान देना शामिल है जो वैक्सीन की गुणवत्ता बरक़रार रखने में मददगार होगी।
कोरोना महामारी का सामने करते हुए हमें लगभग 10 महीने हो गए हैं और निश्चित रूप से इस महामारी के बचाव के लिए अभी हम सबकी नज़रें कोरोनोवायरस वैक्सीन पर टिकी हैं। सभी को ऐसा लगता है कि अलग-अलग स्तरों पर चल रहे वैक्सीन के परीक्षणों में से किसी एक को अंतिम रूप से मंजूरी मिलना इस महामारी का रामबाण इलाज होगा।
पर दरअसल कोरोना महामारी के लिए प्रभावी टीका विकसित करना एक कहीं अधिक उलझाऊ पहेली का एक हिस्सा भर है। सामान्य रूप से ये धारणा है कि चूंकि भारत में दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रमों का संचालन होता आया है, इसलिए यहां कोविड -19 टीके को जरूरतमंदों तक पहुंचाने में बहुत ज़्यादा समस्या नहीं होगी। लेकिन वर्तमान परिदृश्य में इस पृष्ठभूमि के आधार पर केवल एक हद तक ही ऐसा निष्कर्ष निकाला जा सकता है।
इस दृष्टि से यह ठीक ही है कि नीति आयोग की ओर से गठित एक टॉस्क फ़ोर्स वैक्सीन के वितरण यानी लॉजिस्टिक्स पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसमें ख़ास तौर पर कोल्ड चेन पर ध्यान देना शामिल है जो वैक्सीन की गुणवत्ता बरक़रार रखने में मददगार होगी। हालांकि इस टीके के लिए आवश्यक भंडारण तापमान के बारे में बात करना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि इसके लिए काफ़ी कम तापमान की आवश्यकता हो सकती है।
खबरें हैं कि अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की ओर से विकसित किए जा रहे टीके का भंडारण ज़ीरो डिग्री सेल्सियस तापमान पर होगा जबकि फाइजर के टीके के भंडारण लिए ज़ीरो से 25 डिग्री सेल्सियस नीचे के तापमान की आवश्यकता होगी। माना जा रहा है कि एस्ट्राज़ेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन की ओर से विकसित किए जा रहे टीकों के भंडारण के लिए भी ज़ीरो डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान की आवश्यकता होगी।
इस पृष्ठभूमि में देश में मौजूदा कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की मैपिंग का काम चल रहा है। दूसरी ओर ज़ीरो डिग्री सेल्सियस से नीचे के भंडारण तापमान के लिए इनोवेटिव रेफ्रिजरेशन समाधानों पर चर्चा की जा रही है। लेकिन भारत और वास्तव में अधिकांश विकासशील देशों के मामले में एक और पहलू पर गौर करने की आवश्यकता है और वह है बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता।
हम चाहे कितने भी परिष्कृत कूलिंग उपकरण लगा लें लेकिन अगर उन उपकरणों को चलाने के लिए बिजली ही नहीं है या फिर बिजली की गुणवत्ता (उदाहरण के लिए बार-बार घटता या बढ़ता वोल्टेज) इतनी ख़राब है कि वह उपकरणों को चलाने के बजाय उन्हें नुकसान पहुंचाती है तो इन कूलिंग उपकरणों के होने का कोई मतलब नहीं रह जाता। जैसा कि किसी भी वैक्सीन के मामले में होता है, टीकों की गुणवत्ता और उनकी क्षमता आमतौर पर तापमान के प्रति खासा संवेदनशील होती है। उच्च तापमान के संपर्क में आने पर ये विशेष रूप से प्रभावित होती है।
कोरोनावायरस वैक्सीन के मामले में यह बात अधिक महत्वपूर्ण हो सकती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और नेशनल कोल्ड चेन और वैक्सीन मैनेजमेंट रिसोर्स सेंटर के अध्ययन के अनुसार भंडारण तापमान को प्रभावित करने वाले कई अन्य कारणों में बिजली की अनियमित एवं अपर्याप्त आपूर्ति भी शामिल हैं।
हालांकि भारत सरकार की 'सौभाग्य' योजना के बाद बिजली के बुनियादी ढांचे का व्यावहारिक रूप से पूरे भारत में विस्तार हुआ है लेकिन ग्रामीण भारत समेत देश के अन्य कई हिस्सों में गैर-भरोसेमंद ग्रिड आपूर्ति और बिजली आपूर्ति के ठप पड़ जाने जैसी बुनियादी समस्याएं अभी भी बनी हुई है।
वैक्सीन को हर इंसान तक पहुंचाना जहाँ एक तरफ महत्वपूर्ण है वहीँ यह असुरक्षित भी हो सकता है यदि गुणवत्ता किन्हीं कारणों से प्रभावित हो जाए। इस असुरक्षा का सबसे बड़ा कारण बिजली आपूर्ति की अनियमितता के चलते कोल्ड चेन का वैक्सीन भंडारण के तापमान बनाए रखने में अक्षम होना है। सवाल ये है कि इस समस्या को प्रभावी ढंग से और तेज़ी से कैसे हल किया जा सकता है? बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता से जुड़ी इस समस्या को पूरी तरह से हल करने के लिए हमें सौर ऊर्जा का लाभ उठाना ही चाहिए।
स्मॉल-स्केल और मानकीकृत सोलर पीवी पावर पैक और रूफटॉप सिस्टम को तत्काल ही प्राथमिक/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बैकअप के रूप में स्थापित किया जा सकता है ताकि टीके के भंडारण के लिए बिना किसी रुकावट के विश्वसनीयता वाली बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। सौभाग्य से हमारे पास 'सौर' समाधान को तेज़ गति से, और इस पैमाने पर, लागू करने की आवश्यक क्षमता, विशेषज्ञता और कौशल है।
कोल्ड चेन के सामने आने वाली मूलभूत चुनौती से निपटने के अलावा यह कदम उद्यमियों के लिए अवसर और पूर्ण सौर पीवी मूल्य-श्रृंखला के इर्द-गिर्द रोज़गार के अवसर भी खोल सकता है; जिससे इस कठिन मोड़ पर सुस्त अर्थव्यवस्था में तेज़ी भी आ सकेगी।