महासागर सबसे बड़े डंपिंग ग्राउंड बन रहे हैं जिसमें हर साल एक मिलियन टन प्लास्टिक कूड़ा पहुँच रहा है। महासागरों में मौजूद लगभग 80 फीसदी कूड़ा, प्लास्टिक का कूड़ा है। इससे समुद्री आबादी जोखिम में है। प्लास्टिक कचरे का उचित प्रबंधन कर इसे रोका जा सकता है।
समुद्री कूड़े को समुद्री मलबे के रूप में भी जाना जाता है। यह एक ठोस पदार्थ है जो हमारे समुद्री वातावरण जैसे झीलें, समुद्र, महासागर और अन्य जलमार्ग में शामिल हो रहा है या यूँ कहें कि इनमें हमारी ही गलती से कूड़ा पहुँच रहा है। यूनाइटेड नेशन एनवायरनमेंट ने अनुमान लगाया कि हमारे महासागरों में मौजूद लगभग 80 फीसदी कूड़ा, प्लास्टिक का कूड़ा है। महासागर सबसे बड़े डंपिंग ग्राउंड बन रहे है जिसमें हर साल एक मिलियन टन प्लास्टिक कूड़ा पहुँच रहा है। हर मिनट महासागरों में पहुँचने वाला यह कूड़ा एक बड़े कूड़े से भरे ट्रक के बराबर है।
प्लास्टिक का कूड़ा हमारे रोज़मर्रा के जीवन का एक ऐसा हिस्सा बन गया जिसे हम अपने से अलग नहीं कर सकते। कई जगहों पर कूड़े का सही से प्रबंधन न करने के कारण यह महासागरों में पहुँच रहा है। और कुछ स्थानों पर उचित निगरानी की कमी और अपशिष्ट से जुड़े क़ानून को लागू न करना ज़िम्मेदार है। प्लास्टिक का कूड़ा अक्सर समुद्र की सतह पर तैरते हुए या तटों में कहीं फंसा हुआ पाया जाता है। इनमें पेट बोतलें, बची हुई जली सिगरेट के टुकड़े, पीने की छोटी नली (straws), प्लास्टिक पॉलिथीन बैग आदि शामिल हैं।
"प्लास्टिक को ख़त्म होने में लगते हैं हज़ारों साल। एक लंबे समय बाद यह छोटे छोटे टुकड़ों में टूट जाता है। छोटे टुकड़े जलीय प्रजातियों द्वारा निगल लिए जाते हैं और इस प्रकार यह हमारी खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करते हैं।"
प्लास्टिक के मलबे को उनके आकार के आधार पर विभिन्न वर्गों में वर्गीकृत किया गया है: मेगा प्लास्टिक (> 100 मिमी), मैक्रो प्लास्टिक (> 20 मिमी), मेसो प्लास्टिक (5-20) मिमी), माइक्रोप्लास्टिक्स ( <5 मिमी) और नैनो प्लास्टिक (<100 एनएम)। प्लास्टिक अपनी प्रकृति में नॉन-बायोडिग्रेडेबल होते है अगर प्लास्टिक को ज़मीन में गाड़ या फ़ेंक दिया जाए तो इसे छोटे पार्टिकल्स में टूटने और ख़त्म होने में हज़ार साल लग जाते हैं। प्लास्टिक लंबे समय तक हमारे वातावरण में रहता है और फिर छोटे छोटे टुकड़ों में टूट जाता है जिसे माइक्रोप्लास्टिक के रूप में जाना जाता है जो समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों के लिए खतरा हैं। इससे समुद्री आबादी अधिक जोखिम में है क्योंकि ये छोटे छोटे टुकड़े जलीय प्रजातियों द्वारा निगल लिए जाते हैं और इस प्रकार यह हमारी खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करते हैं। इससे पशु और मानव शरीर में प्लास्टिक सामग्री का जैव संचयन (Bioaccumulation) होता है।
हमने समुद्री चक्र में जमा हो रहे मलबे के बारे में बहुत सुना है, जो कि “गार्बेज पैचेस” के रूप में भी जाना जाता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि उत्तरी प्रशांत महासागर के ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच एकल वर्ग किमी में 750,000 बिट तक प्लास्टिक है। इसी तरह अटलांटिक गारबेज पैच में, वैज्ञानिकों ने प्रति किमी 200,000 कचरे के टुकड़ों को पाया। (National Geographic)
भारत में हर साल महासागरों में लगभग 600,000 प्लास्टिक पहुँच रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए यह महसूस किया गया है कि इसके लिए उचित नीति की आवश्यकता है। 2018 में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र के "स्वच्छ समुद्र अभियान" के साथ राष्ट्रीय समुद्री कूड़े की नीति बनाने के लिए अपना पहला कदम उठाया। स्वच्छ समुद्र अभियान दुनिया भर में वास्तव में प्रभावी रहा है क्योंकि इसने प्लास्टिक कचरे पर जागरूकता बढ़ाई और समुद्री प्रदूषण के मूल कारणों को संबोधित किया। (Karanvir Singh, 2018)
"महासागरों की सफाई एक मुश्किल और महंगा काम, इसे कम करने के लिए (reduce), पुन: उपयोग (reuse) और रीसायकल (recycle) में ढूंढें समाधान"
हमारे महासागरों की सफाई एक बड़ा, मुश्किल और महंगा काम है। मलबे का आकार छोटे बारीक कणों से लेकर जानवरों के आकार तक हो सकता है। कई पर्यावरणविदों ने उल्लेख किया है कि हमें अपने समुद्री पर्यावरण में प्लास्टिक के मलबे को प्रवेश करने से रोकना चाहिए। नेशनल जियोग्राफी सोसाइटी समुद्र के कूड़े से जुड़े खतरों पर लोगों को जागरूक करने का काम कर रही है। मिशन ब्लू कार्यक्रम के तहत, ओशियन कंजरवेंसी और सी वेब के साथ नेशनल जियोग्राफी सोसाइटी इस मुद्दे पर लोगों को शिक्षित कर रही है। (National Geographic)
महासागरों तक पहुंचने वाले प्लास्टिक कचरे को तभी रोका जा सकता है जब लोग अपनी जीवन शैली को बदलकर अलग तरह से सोचना और कार्य करना शुरू करें। जब लोग रीसाइक्लिंग को महत्वपूर्ण मानेंगे और अपने आसपास के स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को विकसित करने का प्रयास करेंगे।
इस कचरे को रोका जा सकता है अगर लोग अपने योगदान को समझे कि उन्हें इस कचरे को ऐसे ही नहीं फेंकना है बल्कि इसका प्रबंधन करना है। इसके अलावा, अगर इसे कम करना (reduce), पुन: उपयोग (reuse) और रीसायकल (recycle) करना सीखते हैं। हम जितना कम से कम कूड़ा पैदा करेंगे उतना कम ही वह हमारे महासागरों तक पहुंचेगा। दूसरी ओर, समुद्र में जाने वाले कूड़े को कम करने में निजी क्षेत्र के निर्माता और प्लास्टिक पैकेजिंग के उपयोगकर्ता की एक बड़ी भूमिका है। क्योंकि यह पैकेजिंग आखिर में इस्तेमाल के बाद कूड़ा ही साबित होती है। उद्योग कई तरीकों से प्लास्टिक अपशिष्ट संग्रह करके और रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देकर इस कूड़े को कम कर सकते हैं। इसमें आसान संग्रह और पुनर्चक्रण के लिए उत्पाद डिजाइन पर अच्छी प्रथाओं को साझा करना, EPR दायित्व के तहत संग्रह में मदद करना, पुनर्चक्रण में मूल्य संवर्धन का परिचय देना और एक सर्कुलर इकॉनमी के सिद्धांतों को अपनाकर सामग्री उपयोग लूप को बंद करना शामिल है।