शहरों को रहने योग्य बनाने की दिशा में कमियों को दूर करने के लिये राष्ट्रीय ढांचे की ज़रुरत : टेरी

October 25, 2018
Making liveable cities

आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा तैयार की जा रही राष्ट्रीय शहरीकरण नीति में योगदान के लिये जारी किया नीतिगत सारपत्र

नयी दिल्ली, 25 अक्तूबर, 2018: भारत की 40% से अधिक आबादी के वर्ष 2050 तक शहरी क्षेत्रों में रहने की उम्मीद है (यूएनडीईएसए, 2014)। भारत में तेजी से बढ़ते ये शहरी क्षेत्र हालांकि आर्थिक वृद्धि के इंजन हैं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि शहरों को रहने योग्य बनाने के लिये इन चुनौतियों से हम जिस तरह निपटते हैं, उन तरीकों पर हम दोबारा विचार करें। इस बात को ध्यान में रख कर और वर्तमान में बनाई जा रही राष्ट्रीय शहरीकरण नीति में योगदान देने के लिये, टेरी ने आज 'शहरों को रहने योग्य बनाना: भारत के लिये चुनौतियां और आगे का रास्ता' शीर्षक से एक नीति सारपत्र (पालिसी ब्रीफ) जारी किया (इसे यहां पढ़ें ) । सारपत्र में भारत के शहरों की दीर्घकाल तक सभी सुविधाओं से युक्त बने रहने की क्षमता बढ़ाने के लिये, उन मुख्य क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया है जिनमें मौजूदा नीतियों को मुख्य धारा में लाने के साथ ही नई नीतिगत पहल करने की जरूरत है। सारपत्र में शहरों को रहने के लिये बेहतर बनाने के परिप्रेक्ष्य में 'शहरी नीति और नियोजन (प्लैनिंग)'; छोटे और वित्तीय रूप से कमजोर शहरी स्थानीय निकायों को विभिन्न योजनाओं के लिये धन उपलब्ध कराने के संदर्भ में 'वित्तपोषण और कार्यान्वयन'; के साथ ही अन्य बातों के अलावा 'शहरी नवाचार(अर्बन इनोवेशन)' के तरीकों के बारे में सिफारिशें की गई हैं।

सारपत्र में शहरी नियोजन और ढांचागत विकास संबन्धी उप-नियम, नियमावली(कोड), और नियमन को मुख्य धारा में लाने की सिफारिश की गई है ताकि सामाजिक-सांस्कृतिक पहलुओं, पर्यावरण के लंबे समय तक सुरक्षित रहने और जलवायु अभियान को उनमें शामिल किया जा सके। स्थानीय शहरी प्रशासन को मजबूत करने के लिये, सोशल मीडिया, मोबाइल ऐप आदि के जरिये नागरिकों में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है, इसके साथ ही प्रासंगिक सामग्री, भागीदारी, और भाषा के जरिये नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जाने चाहिये। सारपत्र में रहने योग्य शहरों पर नीति फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन के लिये वित्तीय प्रोत्साहन देने की सिफारिश की गई है, जो 'अमृत' द्वारा किये जा रहे प्रोत्साहन आधारित सुधारों के समान है। भागीदारी को मजबूत करने के लिये, सारपत्र में शहर दर शहर अंतरराष्ट्रीय भागीदारी विकसित करने, और सीएसआर वित्तपोषण के माध्यम से निजी इकाइयों और निगमित क्षेत्र की भूमिका तलाशने की सिफारिश की गई है।

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Policy brief to contribute to National Urbanisation Policy being drafted currently by Ministry of Housing and Urban Affairs

सारपत्र में रहने योग्य शहर के रूप में डेनमार्क के आर्हूस शहर का उदाहरण दिया गया है। शहर में रहन-सहन और उत्पादन पर भविष्य में आने वाली लागत को घटाने के लिये, स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय भागीदारों को इकट्ठा किया गया और शहर में निवेश का शहर के भौतिक नियोजन से समन्वय कायम किया गया। एक और शहर जहां ऐसा ही कदम उठाया गया है, वह नीदरलैण्ड का रॉटरडैम है। यह शहर अपने निवासियों से करीबी सहयोग कायम कर काम कर रहा है ताकि उनके कार्यों में लचीलापन लाया जा सके, जो स्थिर, सुरक्षित, समावेशी और स्वस्थ भविष्य के लिये प्रयासरत हैं। भारत में, आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती नवाचार, रहने योग्य और खुशहाली के सिद्धांत के आधार पर विकसित की जा रही है। भागीदारी का दृष्टिकोण अपनाते हुए, शहर नियोजन (प्लैनिंग) तैयार किया गया है ताकि सामाजिक जुड़ाव और नागरिक योगदान बेहतर हो। इस परियोजना में टेरी राज्य सरकार के साथ भागीदारी कर रहा है।

केन्द्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा, 'कम से ज्यादा करना, आगे बढने का तरीका है ताकि हर कोई अपनी क्षमता के अनुरूप अपनी आकांक्षाओं को पूरा कर सके, और इस तरह शहर का आर्थिक विकास हो। हम बहुत तेज गति से शहरीकरण की ओर बढ़ रहे हैं। आज के 'स्मार्ट' शहर भविष्य के शहरों के प्रकाश स्तंभ होंगे।'

इस अवसर पर टेरी के महानिदेशक डॉ अजय माथुर ने कहा, "शहरों का फैलाव बहुत तेज गति से हो रहा है क्योंकि लोग बेहतर आर्थिक, सामाजिक और रचनात्मक अवसरों के लिये लगातार शहरों में आकर बस रहे हैं। बुनियादी ढांचे के अभाव के अलावा, भारतीय शहर पर्यावरण क्षरण के मुद्दे का भी सामना कर रहे हैं। इसलिये हम अपना बुनियादी ढांचा जिस तरह बनाते हैं, उसकी तुरंत समीक्षा करने की जरूरत है। टेरी के सारपत्र का उद्देश्य राष्ट्रीय शहरीकरण नीति में योगदान देना, और इस तरह, शहरी विकास के लिये एक दीर्घकालिक दृष्टि समायोजित करने में मदद करना है।"

भारत में डेनमार्क के राजदूत पीटर टाकसो जेनसेन ने कहा, "शहरीकरण को बढ़ावा देने के लिये, हमें शहरों को स्मार्ट बनाने की बजाय उन्हें रहने योग्य बनाने पर अधिक ध्यान देना चाहिये। भारत और डेनमार्क विचारों के आदान प्रदान के माध्यम से शहरीकरण के लिये मिलकर काम कर रहे हैं। स्थानीय निकायों और नीति निर्माताओं को सशक्त बनाने से शहरीकरण का मार्ग प्रशस्त होगा और भारत के शहर रहने योग्य बनेंगे। एक राष्ट्रीय स्तर के नीतिगत फ्रेमवर्क की जरूरत है जिसमें केवल नाप जोख का ही नहीं हो बल्कि दीर्घकालिक दृष्टिकोण भी अपनाया जाना चाहिये। शहर दर शहर सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है और शहरीकरण को अगले चरण तक ले जाने में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।"

भारत में यूरोपीय यूनियन प्रतिनिधिमंडल की पर्यावरण, ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन मामलों की सलाहकार सुश्री हेनरिएट फर्गेमैन ने कहा कि संवहनीय और रहने योग्य शहर बनाने के लिये सभी क्षेत्रों को लेकर लोगों पर केन्द्रित एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।

टेरी ने विजयवाड़ा, पणजी और गंगटोक में तीन क्षेत्रीय वार्तायें आयोजित की थीं ताकि संदर्भ तैयार किया जा सके और दिल्ली में होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन में रखे जाने वाले मुख्य विषयों की पहचान की जा सके। क्षेत्रीय वार्ताओं की सह मेजबानी क्रमश: आंध्र प्रदेश, गोवा और सिक्किम की सरकारों के साथ मिल कर की गई थी। चौथी क्षेत्रीय नीतिगत वार्ता, उत्तरी क्षेत्र के लिये, जनवरी 2019 में राजस्थान में आयोजित की जायेगी और यह 'रहने योग्य बनाने में भागीदारी' पर केन्द्रित होगी।

टेरी के बारे में

द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) भारत और तीसरी दुनिया के देशों के सतत विकास के लिये शोधकार्य के प्रति समर्पित एक प्रमुख विचारक मंडल (थिंक टैंक) है। वर्ष 1974 में स्थापित टेरी पर्यावरणीय नियमन और सतत विकास पर शोधकार्य, विचार विमर्श और विचारक नेतृत्व देने वाला एक प्रमुख संस्थान बन चुका है।

इंटरनेशनल सेंटर पर क्लाइमेट गवरनेंस ने टेरी को दुनिया के पांच सबसे प्रभावशाली थिंक टैंकों में से एक माना है। यह संस्थान जलवायु परिवर्तन से निपटने के विचारों को अमल में लाने के लिये कदम उठाने को प्रतिबद्ध है।

अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें:
टेरी - पल्लवी सिंह: pallavi.singh@teri.res.in
एडेलमैन - स्नेहा देव: Sneha.Dev@edelman.com

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